Tuesday, December 15, 2015
Wednesday, November 25, 2015
Tuesday, November 3, 2015
Tuesday, October 27, 2015
इस उम्मीद से मत फिसलो
इस उम्मीद से मत फिसलो
कि तुम्हें कोई उठा लेगा!!
सोच कर मत डूबो दरिया में
कि तुम्हें कोई बचा लेगा!!
ये दुनिया तो एक अड्डा है
तमाशबीनों का दोस्तों!!
अगर देखा तुम्हें मुसीबत में तो
Thursday, March 19, 2015
Wednesday, March 11, 2015
Spiritual Words by Osho
ज्ञान दो प्रकार का है; विषयगत ज्ञान और आत्मगत ज्ञान। एक तो विषय का ज्ञान है और दूसरा स्वयं का ज्ञान है।
और कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले। चाहे वह पूरे जगत को जान ले। लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।
वह जानकार हो सकता है। पंडित हो सकता है। लेकिन वह प्रज्ञावान नहीं है। संभव है कि वह बहुत जानकारी इकट्ठी कर ले। बहुत ज्ञान इकट्ठा कर ले, लेकिन उसके पास उस बुनियादी चीज का अभाव है जो किसी को प्रज्ञावान बनाता है। वह स्वयं को नहीं जानता है। ~ ओशो
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