Wednesday, March 11, 2015

Spiritual Words by Osho


ज्ञान दो प्रकार का है; विषयगत ज्ञान और आत्‍मगत ज्ञान। एक तो विषय का ज्ञान है और दूसरा स्‍वयं का ज्ञान है।

और कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले। चाहे वह पूरे जगत को जान ले। लेकिन अगर वह स्‍वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।

वह जानकार हो सकता है। पंडित हो सकता है। लेकिन वह प्रज्ञावान नहीं है। संभव है कि वह बहुत जानकारी इकट्ठी कर ले। बहुत ज्ञान इकट्ठा कर ले, लेकिन उसके पास उस बुनियादी चीज का अभाव है जो किसी को प्रज्ञावान बनाता है। वह स्‍वयं को नहीं जानता है। ~ ओशो

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